Kavita Tiwari (Ram Mandir)
राष्ट्रभक्ति का दीप जलाना सबको अच्छा लगता है
कोख में न मारो बाबुल बेटी हूँ तुम्हारी
Kavita Tiwari (Ram Mandir)
धन द्रव्य संम्पदा तो नही मांग रही हूँ।
जो मांग रही हूँ वो सही मांग रही हूँ।
जो मांग रही हूँ वो सही मांग रही हूँ।
कविता की पंक्ति पंक्ति राष्ट्र जागरण बने।
कविता की पंक्ति पंक्ति राष्ट्र जागरण बने।
आशीश आप सबसे यही मांग रही हूँ।
आशीश आप सबसे यही मांग रही हूँ।
ह्रदय में बास है जिसका जो भक्तों का सहारा है।
ह्रदय में बास है जिसका जो भक्तों का सहारा है।
जिसे सब लोग कहते है हमारा है हमारा है।
जिसे सब लोग कहते है हमारा है हमारा है।
उद्दीपावन अवध में शुभ घड़ी देखेगी ये दुनिया।
बनेगा राम का मंन्दिर मगन सरयु की धारा है।
बनेगा राम का मंन्दिर मगन सरयु की धारा है।
अवधेश को भजो तुरंत काम बनेगा।
अवधेश को भजो तुरंत काम बनेगा।
भगवान के भजन का भाव नाम बनेगा।
भगवान के भजन का भाव नाम बनेगा।
सब लोग मस्त हो रहे है आज अवध में।
हनुमान जी मगन है राम धाम बनेगा।
हनुमान जी मगन है राम धाम बनेगा।
मन चंचल है तन व्यू हल है झंझा बातों का है समूह।
अगणित प्रतिकूल परिक्षाये नित जीवन पथ लगता गुरुह।
विक्रतिय क्रतियों के तल का यदि भला देश सी लगती हो।
संस्क्रतियॉं चल विपरित दिशा यदि महा कलेश सी लगती हो।
यदि काव्य तत्व के समीकरण संत्रास दिखाई देते है।
यदि वर्तमान वाले अवगुण इतिहास दिखाई देते हो।
यदि मर्यादायें मार्ग छोड़ पद भ्रष्ट दिखाई देती हो।
यदि नराधमों की अनुक्रतियॉं उतिक्रष्ट दिखाई देती हो।
कर दो कर दो विरोध के स्वर बुलंद सबके हित में परिणाम कहो।
निश्चित मत करो समय सीमा फिर सुवह कहो या शाम कहो।
दम हर दम हर अतंर मन उज्जवल कर जय करुणाकर सुख धाम कहो।
जय करुणा कर सुख धाम कहो।
यदि मुक्ति मार्ग चुनना चाहो मेरे संग जय सीया राम कहो।
यदि मुक्ति मार्ग चुनना चाहो मेरे संग जय सीया राम कहो।
मेरे संग जय सीया राम कहो।
शुभ लक्ष्य लिए आये अतित तब तो भाविष्य के स्वप्न बुनो।
अन्यथा सहज पथ पर चलकर विक्षिप्त बनो निज शिश धुनो ।
शुभ लक्ष्य लिए आये अतित तब तो भाविष्य के स्वप्न बुनो।
अन्यथा सहज पथ पर चलकर विक्षिप्त बनो निज शिश धुनो ।
जो अंधकार का अनुचर है अनुयायी है पद भ्रष्टो का।
औचित्य भला कैसे होगा ऐसे निक्रष्ट परशिष्टो का।
तुम तुम याज्ञ वल्क के वंशज हो तुम याज्ञ वल्क के वंशज हो नचिकेता जेंसा तप लेकर ।
हिरण्यकश्यप से युध्द करो पहलाद सरिकखा जप लेकर।
ध्रुव के पक्के पौरुष वाले ध्रुव जैसे श्रेष्ठ तपस्वी हो।
वह क्रत्य करो अनुरुक्ति भरो जिससे यहॉं विश्व यसस्वी हो।
हो त्याज्य अशुभ कुल भला देश जाग्रत होकर शुभनाम कहो।
जो संस्क्रति के संरक्षक हो उनको ही वंश गुणधाम कहो।
हो हंसवंश अवतस्य श्रेष्ट होकर सकल निशकाम कहो।
यदि मुक्ति मार्ग चुनना चाहो मेरे संग जय श्री राम कहो।
करतार करतार उन्हें करतार तार करतार उन्हें करतार तार जो है कतार को तोड़ रहे
शुचिता श्र्रध्दा करणानुकार अव संस्क्रतियों को जोड़ रहें।
उद्देश्य पूर्ण कर दे धरती कर दे मानवता का विकाश ।
क्षमता को दे जागरण मंत्र तम हर दे भर दे साध्विक प्रकाश ।
तू निखिल विश्व का स्वामी है अंतरयामी घट-घट वाशी।
सजनता को कर दे विराट कर खडी घाट जो संतराशी।
उदभव स्थिति संहार शक्ति व्रह्मा विष्णु महेश।
उदभव स्थिति संधार शक्ति कुल तेरी ही तो छाया है।
कहते है वेद पुराण ग्रथ तुझमें ही विश्व समाया है।
कवियों भूमिका निभाओ तुम यदि लय गति छंद ललाम कहो।
शुध्दता युक्त परिमाजन हो मत उनको दक्षिणवाम कहो।
श्रध्दा युक्त नतिशिर होकर के क्षण सतवार प्रणाम कहो।
यदि मुक्ति मार्ग चुनना चाहो मेरे साथ जय श्री राम कहो।
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